प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (Premenstrual Dysphoric Disorder/PMDD) और प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) समान लग सकते हैं, लेकिन प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर अधिक परेशान करने वाला और मूड डिसऑर्डर की तरह की बिमारी है। चूंकि पीएमडीडी एक खतरनाक रोग है और इसका निदान करना कठिन है, इसलिए यदि आपकी पीएमएस की समस्या गंभीर हो जाए तो डॉक्टर से जल्द से जल्द मिलेँ।
कुछ महिलाओं में पीरियड्स आसानी से हो जाते हैं, जबकि कुछ में प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस) के विभिन्न लक्षण आते हैं। आमतौर पर पीएमएस को पीरियड्स आने का संकेत माना जाता है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, लगभग 20 से 40% महिलाएं मध्यम से गंभीर पीएमएस की शिकायत करती हैं, जबकि 5% महिलाएं प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) से पीड़ित हैं। पीएमडीडी पीएमएस का गंभीर रूप है। दोनों स्थितियों के लक्षण समान हैं, फिर भी पीएमडीडी पीड़ित महिला को अधिक परेशान करता है।
पीएमडीडी के क्या कारण है?
हालांकि पीएमडीडी का सटीक कारण बताना मुश्किल है, वैज्ञानिकों का मानना है कि विभिन्न हार्मोनल बदलाव और सेरोटोनिन में परिवर्तन इसमे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सेरोटोनिन दर्द, मनोदशा, नींद और ध्यान को नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है। जैसे-जैसे विभिन्न हार्मोनों के स्तर में परिवर्तन होता है, सेरोटोनिन के स्तर में कमी होती है, जिससे पीएमडीडी होता है। पीएमडीडी उन महिलाओं में अधिक होता है जो इन परिवर्तनो के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं।
पीएमडीडी के क्या लक्षण हैं? Premenstrual Dysphoric Disorder Symptoms
पीएमएस के समान, पीएमडीडी के लक्षण(PMDD Symptoms in Hindi) ओव्यूलेशन के बाद हार्मोन के स्तर में कमी के कारण, पीरियड्स से लगभग एक सप्ताह पहले शुरू होते हैं, और आमतौर पर पीरियड्स के बाद कुछ दिनों तक रहते हैं। पीएमडीडी में गंभीर अवसाद, निराशा, चिंता, चिड़चिड़ापन, क्रोध, उदासी, मिजाज, तनाव यहां तक कि कुछ मामलों में, आत्महत्या के विचार जैसे लक्षण भी आते हैं।
ये लक्षण पीएमएस के समान हैं, लेकिन पीएमडीडी मे महिलाएँ अक्सर ऊर्जा की कमी और थकान की शिकायत करती है, जो दिनचर्या को बाधित कर सकती है, तथा काम-काज, मेल-जोल और रिश्तो में भी बाधा डालती हैं। इसके अतिरिक्त, हार्मोनल परिवर्तनों से अवसाद और मनोदशा संबंधी विकार भी बढ सकते हैं, जिससे प्रभावित व्यक्ति में इस दौरान आत्महत्या की संभावना बढ़ जाती है।
पीएमडीडी का निदान How To Get Diagnosed with PMDD
पीएमडीडी का मन पर प्रभाव जान कर इसका शीघ्र निदान करना महत्वपूर्ण है, जो मुश्किल होता है। चूंकि इसके लक्षण विभिन्न अन्य स्थितियों, जैसे पीएमएस, अवसाद, और मूड विकारों से मिलते-जुलते हैं, इसलिए निदान करना मुश्किल हो जाता है। पीएमडीडी के निदान के लिए एक विशेषज्ञ द्वारा गहन परीक्षा की आवश्यकता होती है। लक्षणो का चार्ट, चिकित्सा इतिहास, शारीरिक परीक्षण और कुछ प्रयोगशाला परीक्षणों के द्वारा पीएमडीडी का निदान सही प्रकार से हो सकता है।
पीएमडीडी का इलाज Premenstrual Dysphoric Disorder Treatment
एक बार पीएमडीडी का पता चलने के बाद इसके मानसिक और शारीरिक दुष्प्रभावो को देखते हुए इसका इलाज करवाना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, पीएमडीडी के कारण होने वाले नकारात्मक प्रभावो को ठीक करने के लिये विशेषज्ञ के मार्गदर्शन की आवश्यकता होगी।
हालांकि, अच्छी खबर यह है कि पीएमडीडी का इलाज हो सकता है। दवाएं, परामर्श और आहार एवम् जीवनशैली में बदलाव से महिलाओं को राहत मिल सकती है। कुछ आधुनिक दवाएं पीएमडीडी लक्षणों को रोकने या कम करने का दावा करती हैं, लेकिन उन दवाओ में एंटीडिप्रेसेंट या जन्म नियंत्रण की गोलियां शामिल हैं। ऐसी संभावना है कि महिलाओं में इनके साइड-इफेक्ट्स उनके स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।
अच्छी खबर यह है कि ऐसे वैकल्पिक उपचार भी उपलब्ध हैं जो दुष्प्रभावों के डर के बिना पीएमडीडी को कम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, आयुर्वेद और इससे जुड़ी तकनीकें शरीर को नुकसान पहुचाए बिना स्वाभाविक रूप से रोग को ठीक करने में मदद कर सकती हैं। आयुर्वेदिक दवाओं के साथ योग और ध्यान ने पीएमएस और पीएमडीडी सहित विभिन्न स्थितियों के इलाज में बेहतरीन परिणाम दिए हैं।
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संदर्भ
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3196060/
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK279265/
https://blog.hempstreet.in/what-you-need-to-know-about-premenstrual-dysphoric-disorder/