क्या कल आपके पीरियड्स का पहला दिन है और आप अपने ऑफिस से एक दिन की छुट्टी लेने की सोच रही हैं? खैर, अब आपको छुट्टी लेने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि हम आपकी मदद के लिये आ गये हैं। इस लेख में, हम मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द या ऐंठन के लिये भांग और आयुर्वेद के महत्व के बारे में बतायेंगे।
भांग और पीरियड्स का दर्द
प्राचीन काल से ही पीरियड्स के दर्द को कम करने के के लिये भांग का उपयोग किया जाता है। कुछ समय पहले तक इंग्लैंड की महारानी को भी पीरियड्स के दर्द से निपटने के लिए भांग लेने की सलाह दी जाती थी। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार न्यू यॉर्क डिसमेनोरिया (यानी पेट के निचले हिस्से, पीठ, या जांघों में दर्द) को उन बीमारियो की सूची में जोडने जा रहा है, जिनकी भांग के द्वारा चिकित्सा करना वैध है।
विभिन्न शोध के प्रमाणों से यह साबित हो चुका है कि महिला प्रजनन पथ, विशेष रूप से गर्भाशय और गर्भाशय की परतो में कैनबिनोइड रिसेप्टर्स की प्रचुरता होती है। भांग के घटक इन रिसेप्टर्स से जुड़ कर इन्हे सक्रिय कर देते हैं, जिससे पैल्विक दर्द कम हो जाता है।
पीरियड में दर्द क्यों होता है? Why Pain During Periods In Hindi
पीरियड्स का दर्द मुख्य रूप से प्रोस्टाग्लैंडिन नामक शोथकारक हार्मोन द्वारा उत्तेजित होता है। जैसा कि हम सभी भांग के शोथ-हर गुणो के बारे में जानते हैं, यह इन हार्मोनों के प्रभाव को कम करने में भी मदद करता है। ये हार्मोन नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करते हैं जिससे यह शरीर में होने वाले दर्द को कई गुना बढ़ा देते हैं। इन हार्मोनों के उच्च स्तर से गर्भाशय में तेज़ संकुचन होते हैं, जिससे तीव्र दर्द होता है। दुनिया भर के शोधकर्ताओं के अनुसार, सीबीडी मासिक धर्म के दौरान इन हार्मोनों के उत्पादन को रोकने में सफल है।
इसके अलावा, भांग में टी एच सी(टैट्रा हाइड्रो कैनाबिनॉल) भी है, जो व्यक्ति को आराम और सुकून देता है। चूंकि भांग मुख्यतः ऊतकों पर काम करता है, इसलिए वे ऊतकों में उपस्थित रिसेप्टर्स को सक्रिय करके मांसपेशियों में होने वाले ऊतकों के संकुचन में आराम देता है।
पीरियड दर्द के आयुर्वेदिक उपचार (How can I work in office during my period?)
हम अपने आस-पास कामकाजी महिलाओं को पीरियड्स के दौरान बहुत तेज़ दर्द से गुज़रते देखते हैं। ऐसे दर्द के साथ काम करने से न केवल महिलाओं की कार्यक्षमता में बाधा आती है बल्कि महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे चिडचिडापन, चिंता और अवसाद होता है। आयुर्वेद मासिक धर्म चक्र को अपान वायु से जोड कर देखता है जो वात दोष के अंतर्गत वर्गीकृत है। इस दौरान शरीर में वात दोष की वृद्धि होती है। जब वात दोष को संतुलित करके शरीर में सही मात्रा में लाया जाता है, तो दर्द कम होने लगता है।
चूंकि आयुर्वेद एक व्यापक चिकित्सा प्रणाली है, इसीलिये यह उस अवधि के दौरान शरीर में वात की मात्रा को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव का सुझाव भी देता है। इनमे गर्म, अच्छी तरह से पका हुआ भोजन करना, पीरियड्स के पहले तीन दिनों में कठोर व्यायाम से बचना, पीठ पर तिल का तेल लगाना और अदरक के पानी का सेवन करना जैसे कई सुझाव शामिल हैं।
इसके अलावा आयुर्वेदिक दवा त्रैलोक्य विजया वटी इस दुनिया में छुपे हुए एक खज़ाने की तरह है, जो महिलाओं को पीरियड्स के दर्द से राहत देती है। त्रैलोक्य विजया वटी में प्राथमिक घटक भांग है।
वैज्ञानिक शोध के परिणामों के अनुसार, कैनाबिस सैटाइवा एक शोथ हर औशधि है, जिसमें उत्कृष्ट दर्द निवारक गुण पाये जाते हैं। आयुर्वेद में बताये गये भांग के गुण जैसे वेदना स्थापन और शूल प्रशमन, महिलाओं को पीरियड्स में होने वाले दर्द को कम करने में मददगार साबित हुए हैं। इसके अलावा, इस आयुर्वेदिक दवा में और भी चिकित्सीय गुण हैं जो पीरियड्स के दौरान महिलाओं को होने वाली एंग्ज़ायटी और चिडचिडेपन को कम करने में मदद करते हैं।
हेम्पस्ट्रीट की ओर से कुछ सुझाव (पीरियड में दर्द की मेडिसिन नाम)
वर्तमान समय में, महिलाओं के स्वास्थ्य में आयुर्वेदिक भांग के प्रभाव पर शोध की बहुत आवश्यकता है। आयुर्वेद जो कि एक स्वदेशी चिकित्सा प्रणाली है, काफी अच्छे घरेलू स्तर पर इसका उत्पादन कर रही है। त्रैलोक्य विजया वटी इसका एक अच्छा उदाहरण है। कामकाजी महिलाओं के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है ताकि वे पीरियड्स के दौरान इस आयुर्वेदिक इलाज को आजमाएं और स्वयं चमत्कारिक परिणामों का अनुभव करें।
अब समय आ गया है कि आप अपने पीरियड्स के दर्द पर नियंत्रण रखेँ। इसे अपने करियर पर अंकुश न लगाने दें। अधिक जानकारी के लिए, आप हमारे विशेषज्ञों ने पीरियड्स के दर्द और अन्य मासिक धर्म संबंधी विकारों के इलाज पर अपने अनुभव साझा किए हैं।
संदर्भ
https://www.artofliving.org/us-en/dysmenorrhea-free-yourself-period-cramps-using-ayurvedic-wisdom